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आयड़ तीर्थ पर एक साथ 80 जैन मंदिरों पर चढ़ाई ध्वजा  

आयड़ तीर्थ पर एक साथ 80 जैन मंदिरों पर चढ़ाई ध्वजा  

 उदयपुर BHN  श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में शुक्रवार को आयड़ तीर्थ स्थित 80 मंदिरों के शिखर पर ध्वजा परिवर्तन की गई। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि प्रात: 7 बजे साध्वी कीर्तिरेखा श्रीजी की निश्रा में पाश्र्व वल्लभ सेवा मण्डल की बहिनों द्वारा स्नात्र पूजा, उसके बाद सत्तरभेदी पूजा पढ़ाई गई। ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। उसके बाद सभी 80 मंदिरों के शिखर पर वार्षिक ध्वजा परिवर्तन की गई। इस दौरान आयोजित धर्मसभा में साध्वी कीर्तिरेखा ने कहां कि दान-शील और तप के अभाव में भी भाव धर्म मोक्ष का कारण बन सकता है परन्तु भाव के अभाव में आदि धर्म भी निष्फल ही कहे गए हैं। जिस प्रकार से सिद्ध रस के संयोग से लोटा सोना बन जाता है। नमक के प्रयोग से भोजन स्वादिष्ट बन जाता है उसी प्रकार भाव के संयोग से धर्म मोक्ष रूपी लक्ष्मी प्रदान करने वाला होता है। जैसे कि संसार के भौतिक सुखों का त्याग किए बिना ही मुद्रिका से रहित अपनी अंगुली को देख- कर एक मात्र अनित्य भावना का विचार करते हुए भरत महाराजा को आरिसा भवन में केवलज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। भावपूर्वक किया गया धर्म जीवात्मा को इसलोक और परलोक के सुख के लाभ के लिए होता है। 1 जीव बिना शरीर (कलेवर) का कोई मूल्य नहीं, सुगंध बिना फूल की कोई कीमत नहीं, । जड़ बिना वृक्ष का कोई अस्तित्व नहीं। बस इसी कारण भाव बिना धर्म नहीं। भाव रहित चाहे कितनी ही क्रियाएँ की जाय, वे क्रियाएँ कभी मोक्ष नही दे सकती। हमें हर आराधना भाव सहित करनी चाहिए।  इस अवसपर महासभा अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या, राज लोढ़ा, राजेन्द्र चतुर, अशोक जैन, अंकुर बोर्दिया, चतर सिंह पामेचा, छतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, प्रध्योत महात्मा, राजेन्द्र मारू, अभय नलवाया, भोपाल सिंह सिंघवी, श्याम हरकावत, भोपाल सिंह दलाल, नरेन्द्र चौधरी सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद। इस अवसर पर सभी धर्मावलम्बियों का स्वामीवात्सल्य का आयोजन किया गया।