टोंक । आश्विन शुक्ला प्रतिपदा 15 अक्टूबर रविवार को शारदीय नवरात्रा का शुभारम्भ हो रहा है। घट स्थापना देवी का आह्वान के लिए देवी पुराण एवं तिथि तत्व में प्रात: काल प्रति पदा तिथि एवं द्वि-स्वभाव लग्न में घट स्थापना करना सर्वश्रेष्ठ बताया गया है तथा चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग को वर्जित बताया गया है। 15 अक्टूबर रविवार को सूर्योदय सुबह 6.30 बजे होगा एवं एकम तिथि अद्र्ध रात्रि बाद 24.32 बजे तक रहेगी, चित्रा नक्षत्र सायं काल 6.12 बजे तक, वैधृति योग सुबह 10.23 बजे तक रहेगा। मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान टोंक के निदेशक महर्षि बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि देवी पुराण में चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग इन दोनों के आदि के चरणों का त्याग कर घट स्थापना की अनुमति प्रदान की जाती है। अत: घट स्थापना हेतु अभिजित मुहुर्त दिन में 11.44 बजे से दोपहर 12.31बजे तक है। इस अवधि में धनु द्वि-स्वभाव लग्न 11.16 से दोपहर 13.20 बजे तक एवं अमृत के चौघडिय़ा में श्रेष्ठ रहेगा। चौघडिय़ा अनुसार चर का सुबह 7.56 से 9.22 तक लाभ का 9.22 से दिन में 10.47 तक अमृत का दिन में 10.47 से दोपहर 12.13 तक एवं दोपहर में शुभ का 1.38 से 3.3 बजे तक शुभ है । महर्षि बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि 22 अक्टूबर रविवार को अष्टमी रात्रि 7.59 बजे तक है। अत: अष्टमी पूजन इसी दिन किया जायेगा। नवमी पूजन वाले 23 अक्टूबर सोमवार को सांंयकाल 5.45 बजे तक पुजेगें, स्वार्थ सिद्धि योग 18 अक्टूबर बुधवार अनुराधा नक्षत्र सुबह 6.32 से रात्रि 9 बजे तक, 22 अक्टूबर रविवार उताराषाढ़ा नक्षत्र सुबह 6.34 से सांय 6.44 बजे तक, 23 अक्टूबर सोमवार श्रवण नक्षत्र सुबह 6.35 से सांय 5.14 बजे तक है, जिसमें वाहन आभुषण सफेद वस्त्रों की खरीद व्यापार मशीनरी आदि कार्य शुभारंभ करना श्रेष्ठ रहेगा। बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि 24 अक्टूबर मंगलवार को दशमी तिथि सायं 3.14 बजे तक है, इसी दिन विजय दशमी पर्व दशहरा मनाया जायेगा। इसमें सुबह 9.23 से चरका 10.47 से लाभ का 12.11 से 13.37 तक अमृत का चौघडिय़ा है, जिसमें वाहन आभूषण सफेद वस्रों की खरीद व्यापार मशीनरी आदि कार्य शुभारम्भ करना सर्व श्रेष्ठ रहेगा।