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नारी जग से न्यारी

नारी जग से न्यारी

 

नारी बिन जग सूना सूना, सूना है जीवन संसार हमारा,
नारी शक्ति जग से न्यारी, त्याग प्रेम समर्पण की अप्सारा।

ममता जिसमें छाईं रहती, जीवन सबका उजला करती,
सब पर प्रेम न्योछावर करती, जग जीवन में उजाला भरतीं।

जिस परिवार का हिस्सा बनती, रोग दोष को जड़ से मिटातीं,
साहस है वीरों जैसा समय समय पर मां चामुण्डा बन जाती।

हे नारी शक्ति प्रणाम है तुझे,तू जनमानस का कल्याण करती,
लाज लज्जा का साया रखती, हर व्यक्ति का सम्मान करती।

महिलाओं का सम्मान बढे है टीकूड़ा री बातां में,
दुःख हो या सुख हो , फिर जीती है पति की बातां में।

नारी है अद्भुत रचना, फिर नारी पर अभिमान करना,
जीवन भरा है कठिनाइयों से, पर नारी का ससम्मान करना।

जीवन भर त्याग करें है नारी, नारी का मान बढ़ा देना,
महिला दिवस पर मान बढ़े, पर नारी का भार घटा देना।

नारी बिन जग सूना सूना, सूना है जीवन संसार हमारा,
नारी शक्ति जग हूं न्यारी, त्याग, प्रेम समर्पण की अप्सारा।

कवि टीकम चन्द टीकूड़ा  ✍️