असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे मजदूरों को पेंशन देने की केन्द्र की ‘प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना’ फ्लॉप साबित हो रही है। पांच साल में देश के 10 करोड़ असंगठित श्रमिकों को योजना से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया था। तीन साल गुजर गए हैं। अभी करीब पांच प्रतिशत (49 लाख 12 हजार 215) मजदूरों ने ही नामांकन करवाया है। तत्कालीन केन्द्रीय वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने वर्ष 2019-20 का अंतरिम बजट पेश करते हुए इस योजना की घोषणा की थी, जिसमें बताया गया कि असंगठित क्षेत्र में काम कर प्रति माह 15 हजार रुपए तक कमाने वाले मजदूरों को लाभान्वित किया जाएगा। योजना के लिए सरकार ने 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था।
केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की इस योजना में 18-40 वर्ष की आयु समूह के घर से काम करने वाले श्रमिक, स्ट्रीट वेंडर, मिड-डे-मील श्रमिक, सिर पर बोझ ढोने वाले श्रमिक, ईंट-भट्टा मजदूर, चर्मकार, कचरा उठाने वाले, घरेलू कामगार, धोबी, रिक्शा चालक, भूमिहीन मजदूर, खेतिहर मजदूर, निर्माण मजदूर, बीड़ी मजदूर, हथकरघा मजदूर, चमड़ा मजदूर शामिल हैं। पात्र व्यक्ति नई पेंशन योजना (एनपीएस), कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) योजना या कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के लाभ नहीं लेने वाले होने चाहिए।केन्द्र सरकार का बराबर का अंशदान
यह 50:50 के अनुपात आधार पर एक स्वैच्छिक तथा अंशदायी पेंशन योजना है, जिसमें निर्धारित आयु तक विशेष अंशदान लाभार्थी द्वारा किया जाएगा। बराबर का अंशदान केन्द्र सरकार देती है
राजस्थान दसवें पायदान पर
नामांकन कराने में राजस्थान दसवें पायदान पर है। राजस्थान में 2 नवम्बर तक 1 लाख 26 हजार 180 मजदूरों ने नामांकन करवाया है।
नामांकन में टॉप टेन
राज्य नामांकन
हरियाणा 824794
उत्तर प्रदेश 665745
महाराष्ट्र 603194
गुजरात 386900
छत्तीसगढ 229143
बिहार 215694
ओडिशा 183344
मध्य प्रदेश 176130
झारखण्ड 135577
राजस्थान 126180
न्यूनतम निश्चित पेंशन
योजना में प्रत्येक लाभार्थी को 60 वर्ष की उम्र पूरी होने के बाद प्रति महीने 3,000 रुपए न्यूनतम निश्चित पेंशन मिलेगी। लाभार्थी की मृत्यु होने पर उसे मिलने वाली पेंशन की 50 प्रतिशत राशि लाभार्थी के जीवनसाथी को मिलेगी